भव्य लोक के मध्य में स्थित मेरु पर्वत के दोनों तरफ रहे हुए असंख्य द्वीप समूहों का और मेरु पर्वत के ऊपर ज्योतिष्क विमानों, लोकाग्र पर स्थित सिद्धशिला आदि को सरल भाषा में चित्रों के माध्यम से बताया गया है। वर्तमान विज्ञान एवं आगम की तुलना के भी सुन्दर चित्र दिये गये हैं। इस भव्य चित्रमय ग्रन्थ में दिए गए अनेक नक्शे, शिविरों और ज्ञानशाला में पढ़ाने योग्य हैं|<\/p>"}};typeof jkartAppProduct!="undefined"&&jkartAppProduct.postMessage(JSON.stringify({id:1004,name:"Aao Lok Ki Sair Kare",url:"aao-lok-ki-sair-kare",images:["https://jainkart.azureedge.net/0007374_aao-lok-ki-sair-kare_600.jpeg","https://jainkart.azureedge.net/0007245_aao-lok-ki-sair-kare_600.jpeg","https://jainkart.azureedge.net/0007246_aao-lok-ki-sair-kare_600.jpeg"],desc:"
इस विशाल लोक के पटांगन में देवलोक कहाँ है, नरक कहाँ है, पृथ्वीलोक कहाँ है, पानी कहाँ है, पर्वत कहाँ हैं, मोक्ष कहाँ हैं? तथा इस
भव्य लोक के मध्य में स्थित मेरु पर्वत के दोनों तरफ रहे हुए असंख्य द्वीप समूहों का और मेरु पर्वत के ऊपर ज्योतिष्क विमानों, लोकाग्र पर स्थित सिद्धशिला आदि को सरल भाषा में चित्रों के माध्यम से बताया गया है। वर्तमान विज्ञान एवं आगम की तुलना के भी सुन्दर चित्र दिये गये हैं। इस भव्य चित्रमय ग्रन्थ में दिए गए अनेक नक्शे, शिविरों और ज्ञानशाला में पढ़ाने योग्य हैं|<\/p>"}))