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    'jain bhajan' સાથે ટૅગ કરેલી બ્લોગ પોસ્ટ્સ

    ટિપ્પણીઓ ( ડી) नमोकार मंत्र है न्यारा | लता मंगेशकर
    नमोकार मंत्र है न्यारा इसने लाखों को तारा..(2) इस महा मात्र का जाप करो, भव जल से मिले किनारा...
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) तुमसे लागी लगन। ( जैन भजन )
    तुम से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा ||
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) हवे तारा नही टम टमे आ आंग। विरति विवाह
    हवे तारा नही टम टमे आ आंगणे एक संयम नो तारलो झळहळे रे लोल हवे पूनम नही आवेमारा बारणे मारा आँसूनो दिरयो घडवडे रे लोल हवे तारा नही...
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) जगमगता तारलानु डेरासर होजो
    जगमगता तारलानु डेरासर होजो, ईमा म्हारा प्रभुजी नी प्रतिमा होजो,
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) जैन स्तवन - दादा आदेश्वर दूर थी आव्यो दादा दर्शन दो

    ટિપ્પણીઓ ( ડી) कभी प्यासे को पानी। जैन भजन
    कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा ।
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) हे उपकारी कृपा वरसावो
    हे उपकारी! कृपा वरसावो.. सिद्धशीलाए मने तेडावो… राह जोउं… राह जोउं, प्रभु आवशे ने लइ जाशे….
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) व्हाला आदिनाथ मे तो पकडयो तारो हाथ मने देजो सदा साथ

    व्हाला आदिनाथ में तो पकड्यो तारो हाथ,
    मने देजो सदा साथ.. हो.. व्हाला आदिनाथ हो
    आव्यो तुम पास.. लइ मुक्तिनी एक आश,
    मने करशो ना निराश..
    हो.. व्हाला आदिनाथ हो… (१)
    तारा दर्शनथी मारा नयनो ठरे छे..
    नयनो ठरे छे,
    रोमे रोमे आ मारा पुलकित बने छे..
    पुलकित बने छे,
    भवोभवनो मारो उतरे छे थाक,
    हुं तो पामुं हळवाश,
    हो… व्हाला आदिनाथ हो… (२)
    तारी वाणीथी मारुं मनडुं ठरे छे…
    मनडुं ठरे छे,
    कर्मवर्गणा मारी क्षण क्षण खरे छे…
    क्षण क्षण खरे छे,
    ठरी जाय छे मारा कषायोनी आग,
    छूटे राग-द्वेष नी गांठ,
    हो… व्हाला आदिनाथ हो… (३)
    तारा आज्ञाथी मारुं हैयुं ठरे छे…
    हैयुं ठरे छे,
    तुज पंथे आगळ वधवा सत्त्व मळे छे…
    सत्त्व मळे छे,
    टळी जाय छे मारो मोह अंधकार,
    खीले ज्ञान अजवाश,
    हो… व्हाला आदिनाथ हो… (४)
    तारुं शासन पामीने आतम ठरे छे…
    आतम ठरे छे,
    मोक्ष मार्गमां ए तो स्थिर बने छे…
    स्थिर बने छे,
    मळ्यो तारो मार्ग, मारा केवा सद्भाग्य,
    मारा केवा धन्यभाग्य,
    हो… व्हाला आदिनाथ हो… (५)

     
     
    ટિપ્પણીઓ ( ડી) हे पतित पावन विश्व वात्सल पार्श्व शंखेश्वर प्रभु I प्राचीन स्तवन

    ટિપ્પણીઓ ( ડી) महावीर सा मुझको बन जाना है
    जो युद्ध हरे मैदानों में, वो इंसान वीर कहा जाए.. जो युद्ध हरे अपने मन में, वो महावीर सा बन जाए.....