गावो गीत वधावो गुरू ने
मोतीडे चोक पुरावो…
चार-चार आंगण चतुर शु आव्या (२)
गावो गीत रसाली रे…
आज मारे दीवाली… अजवाळी
गावो गीत वधावो गुरू ने
मोतीडे चोक पुरावो…
चार-चार आंगण चतुर शु आव्या (२)
गावो गीत रसाली रे…
आज मारे दीवाली… अजवाळी
आव्यो शरणे तमारा जिनवर करजो आश पूरी अमारी
नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी
(गिरनारी नेमिनाथ दादा – अभिषेक स्तुति)
गिरनार पर प्रभु नेम ना, अभिषेकनो पावन समय
प्रभु नेमिनाथ जिनालये, वातावरण शुभ भावमय
ते परम पावन द्रष्य मारा, नेत्र ने निर्मल करो
नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (१)
श्यामल प्रभुना मस्तके, निरखु हु क्षीरधारा धवल
रोमांच अनुपम अनुभवु, गद-गद हृदय लोचन सजल
प्रत्येक आत्मप्रदेशे नेमि, प्रितने निश्चल करो
नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (२)
अभिषेकना सुप्रभावथी, विध्नो तणो थाओ विलय
सर्वत्र आ संसारमा, शासन तणो थाओ विजय
सुख शांति पामे जीव सहु, करुणा सुवासित दिल करो
नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (३)
अभिषेकना सुप्रभावथी, भावतापनु थाजो शमन
उर केरी उखर भूमिपर, सम्यक्त्वनुं थाओ वपन
मिथ्यात्व मोह कुवासना, कुमति तणों सवि मल हरो
नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (४)
अभिषेकना सुप्रभावथी, गिरनार नो जय विश्वमा
महिमा महा गिरिराज नो, व्यापी रहो आ विश्वमा
आ तीर्थ ना आलंबने, भवि जीव शिव मंजिल वरो
नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (५)
शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा..
नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा..
गुरू मांना पगलां पड्या ने आनदं छायो
उत्तसव अनेरो आजे आंगण रे आव्यो
उपकार कर्या मुज पर, एना गुण हुं विसारुं छुं
केवो बदलो में वार्यो, हुं एज विचारुं छुं…
केवुं धन्य जीवन जीवे छे मुनिराय,
निरखुंने आंखोमां, अमृत छलकाय…
सिद्धारथनां राजकुंवरनुं अमे लीधुं आलंबन…
जय जय त्रिशलानंदन…
जग ना नाथ बन्या ते पहेला
मारा स्वामी नाथ थया
मुझ ने एकलवाई छोडी
तमे मोक्ष मा केम गया…