दादा गुरु दरबार में

Dada Guru Darbaar Mein

(तर्ज- कांची रे कांची रे)

आये है आये हैं आज हम आये 
दादा गुरु दरबार में हो ऽऽऽ          
आये हैं...

सच्ची हैं ये प्रीत मेरी कच्ची नही 
भक्तों को तरसाना ये तो अच्छा नही 
मुश्कील हैं जीना भक्ति बिन रहना 2 
अब तो तू मुखडा दिखा दे  
आये हैं…

कर्मों का सताया आया शरने तेरी 
तेरे हाथो मे हैं जीवन नैय्या मेरी 
अपना बनाले शिवपूर दिखा दे 2 
ना जाऊँगा तुझे छोड़ के 2           
आये है …