varsitap parno song, varshitap
13 मास री कठिन साधना
फिरआयो क्षण पावनियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उड़ाओ केसरियो॥
देखो धरती महक रही है
वैशाख लगे मन भावनियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उड़ाओ केसरियो॥
देखो परम तपस्वी आए
फूल बरसाओ स्वागत में।
सारी चिंता छोड़ दिए
जो लीन हुए प्रभु जप तप में।
नमन करोसा, करो अनुमोदन
वीर पुकारे प्राँगणियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उड़ाओ केसरियो ....
पूर्व कर्म के दोषो से,
जब नाथ ऋषभजी श्रमण बने।
भटके चर घर बिन बोले
आहार मिले तो व्रत खोले।
कोई न समझा, मौन संत का
श्रेयांश करायो पारणियो
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उड़ाओ केसरियो।
संयमता ओर धीरज की,
परिभाषा ही वर्षितप हैं।
आदिश्वर के दर्शन की,
अभीलाषा ही वर्षितप हैं।
पुण्य कमाये, जो कर ज़ाये
वर्षितप भव तारणियो।
वर्षितप रो पारणो आयो
रंग उडाओं केसरियो।
१३ मास री कठिन साधना
फिरआयो क्षण पावनियो।
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उड़ाओ केसरियो।
देखो धरती महक रही है
वैशाख लगे मन भावनियो,
वर्षीतप रो पारणों आयो
रंग उडाओ केसरियो