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आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा

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आदीनाथा मेरी अरदास है
तेरे दर्शन की प्यास है हो ... तेरे दर्शन की प्यास है

तू मेरी सांसे तू मेरी धड़कन
तेरे चरणो मे मै हूं अर्पण
तेरी ही तो भक्ति से दादा हर खुशि मिली है

आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
पारणा करे है वर्षी तप का हे जिनेश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा

संयम धारी ऋषभ प्रभुजी जी, तेरहा मास भटके
पर ना आहार समझा कोई भी
कोई घोड़ा बैराये, कोई सोना बैराये
पर ना आहार बैराया कोई भी
श्रेयांस ने पूर्व ज्ञान से , प्रभु का बड़े बहुमान से,
इच्छू के रस से आज पारणा किया था ....

आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
पारणा करे है वर्षी तप का जिनेश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा

तूझसे धरा है रौशन, तेरी वाणी अनुपम
तेरे मुख से प्रभु जी अमृत बरसे है
मुक्ति का तू ही दाता, तू ही जग का विधाता
दर्शन से तेरे मन की कलियां खिली है
तप जो वर्षीतप का धारे, उसको तू पार उतारे,
कर्म कटे है मुक्ति मंजिल मिली है

आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा
पारणा करे है वर्षी तप का जिनेश्वरा
आया दिन आखा तीज का हे आदिश्वरा

आदिमं पृथिवीनाथ-मादिमं निष्परिग्रहम्
आदिमं तीर्थनाथं च, ऋषभ-स्वामिनं स्तुमः

मै तो समरु रे ... सिद्धाचल तीरथ महाराज ...
ज्या पधार्यो रे ... प्रभुवर पूर्व नव्वाणु वार ....

 

Source - Aaya Din Akhateej Ka

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