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अन्नत्थ सूत्र

Annattha Sutra

उससिएणं नीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्डएणं
वाय-निसग्गेणं, भमलीए पित्त-मुच्छाए, सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं
सहुमेहिं खेल संचालेहिं सुहुमेहिं दिट्वि-संचालेहिं, एवमाइएहिं
आगारेहिं, अभग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो ।
जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि,
ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि ।।

 

भावार्थ:-


(तस्स-उत्तरी सूत्र में काउसग्ग द्वारा शुद्धिकरण करने की प्रतिज्ञा की थी। पर कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जो कि प्राकृतिक है। उनको रोकी नहीं जा सकती । इसलिए उनको अपवाद (अर्थात् वे क्रियाएँ हों तो भी काउस्सग्ग खंडित न हो) कहा जाता हैं ।)

निम्न अपवाद पूर्वक-श्वास लेने पर, श्वास छोड़ने पर, खांसी आने पर, छींक आने पर, उबासी आने पर, डकार आने पर, वायु निसर्ग होने पर, चक्कर आने पर, पित्त के कारण मूर्च्छा आने पर, सूक्ष्म अंग के हलन चलन जैसे रोम आदि विकसित होने पर, सूक्ष्म रीति से शरीर में कफ तथा वायु का संचार होने पर, सूक्ष्म रीति से दृष्टि फरकने पर, इत्यादि अपवाद होने पर भी मेरा काउस्सग्ग अभंग अखंडित रहे। जब तक मैं अरिहन्त भगवान को नमस्कार न करुं यानि 'णमो अरिहन्ताणं' पद न बोलूं तब तक में अपने शरीर को स्थिर रखकर, वचन से मौन धारण करके तथा मन से शुभ ध्यान नें रहकर सब पापकार्यों से अपनी आत्मा को अलग रखता।

 

प्र. अपवाद किसे कहते है ?
उ. किसकी छूट रखी जाती हो। इसको आगार भी कहा जाता है।

प्र. इस सूत्र में कितने आगार है ?
उ. इसमें १२ आगारों का तो स्पष्ट उल्लेख किया गया है किन्तु इत्यादि पद में चार अन्य आगारों का भी समावेश है। इस प्रकार इसमें १६ आगार है।

प्र. चार अन्य आगार कौन से है ?
उ. (१) आग लग गई हो । (२) शिकारी सामने आवे या पंचेंद्रिय प्राणि का वध करे। (३) कोई चोर या राजा वहाँ कुकर्म करने लगे । (४) सांप डसे या डंसने आवे ।

प्र. कायोत्सर्ग में क्या किया जाय ?.
उ. मन-वचन-काया का निरोध करके धर्मध्यान किया जाता है।

प्र. इसका दूसरा/अपर नाम क्या है ?
उ. इसका अपर नाम काउस्सग्ग सूत्र है।

 

Source-
Book Name: कुशल-विचक्षण ज्ञानाञ्जली

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