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अंत छे अनंत नही

ant che, ant che anant nahi

सर्व स्वीकार नी संयम यात्रा सर्व स्वीकार नी संयम यात्रा
सादी अनंत छे वीरे कही भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो अंत छे
अनंत नही

सर्व स्वीकार नी संयम यात्रा सादी अनंत छे वीरे कही भव
भ्रमणोनी यात्रा नो तो अंत छे अनंत नही हु कहेतो नथी
संसारे दुख पण शाश्वत सुख नो अंश नही भव भ्रमणोनी
यात्रा नो तो अंत छे अनंत नही

पैसा पाछल भव जसे साथ न आवसे पाईं स्वार्थ भरेला
संबंधो छे प्रभु संग करीले सगाई
तु भव अनंता करी आव्यो तु नश्वर देह पाछल भाग्यो
जीवन मा सुख जे कोतरे छे मृगजल बनी ते छेतरे छे

तु भव अनंता करी आव्यो तु नश्वर देह पाछल भाग्यो
जीवन मा सुख जे कोतरे छे मृगजल बनी ते छेतरे छे केम
मन मंदिर तारु खाली छे केम मन मंदिर तारु खाली छे
केम खाली आतम? सुख नहि भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो
अंत छे अनंत नही

हु कहेतो नथी संसारे दुख पण शाश्वत सुख नो अंश नही
भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो अंत छे अनंत नही

नेमि नु ऐ बस नाम जपे बनसे नेम जेम ए मन मेरे देह थी
अंजन छे मन रंजन छोड़या एने धन कंचन

आ नेमि तो गिरनारी छे एने राजुल रानी तारी छे वली
पशुओने पण उगारी रे एतो पाम्या शिववधु प्यारी रे

आ नेमि तो गिरनारी छे एने राजुल रानी तारी छे वली
पशुओने पण उगारी रे एतो पाम्या शिववधु प्यारी रे पुण्य
नहि जोसे ए तारु पुण्य नहि जोसे ए तारु बस मन पवित्र
छे के नहि भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो अंत छे अनंत नही

सर्व स्वीकार नी संयम यात्रा सादी अनंत छे वीरे कही भव
भ्रमणोनी यात्रा नो तो अंत छे अनंत नही
हु कहेतो नथी संसारे दुख पण शाश्वत सुख नो अंश नही

 

Source - Ant Che Anant Nahi

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