Library > प्रभु भक्ति
कल्लाणकंदं स्तुति

कल्लाणकंदं पढमं जिणिंदं
संतिं तओ नेमिजिणं मुणिदं,
पासं पायसं सुगुणिक्कठाणं,
भत्तीइ वंदे सिरि-वद्धमाणं ... १

मेरी विनती सुनलो दादा

मेरी विनती सुनलो दादा, क्यूँ नहीं सुनते पारस दादा
सुनलो, सुनलो जग के नाथ
नाकोड़ा के पारसनाथ, मेरी विनती स्वीकार करो
है दादा हमें भव से पार करो

अबके पर्युषन में

अबके पर्युषन में, गुस्सा थोडा शान्त रखना,
आपने मन में भी जारा तु अकान्त रखना,
बुरी बातो से खुद्को सम्हल रखना,
तप साधना मे खुदका खयाल रखना,

सीमंधर स्वामी के पास

सीमंधर स्वामी के पास हमें जाना हैं,
संयम लेके, केवल पाके, मोक्ष हमको जाना हैं,
सीमंधर स्वामी के पास हमें जाना हैं॥
चौरासी लाख जीवयोनी में, अनंतकाल से भटकुं,

जैनो का त्यौहार आया

अब तक किए जो पाप वो, धोने का वक्त आया
भक्ति, तप और साधना करने का वक्त आया
आया पर्युषण आया
जैनो का त्यौहार आया

पर्व आया पर्युषण

हो .. आया रे ..
पर्व आया पर्युषण,
के जैनियों का पर्व सुहाना,
महिमा बड़ी है महान,

जैनो का उत्सव पर्युषण आया

लो आया झूमके गाके प्यारा ये सावन
ये जैन जगत का पर्व है कितना मनभावन
आया अवसर ये कितना पावन है
कितनी मधुर ये भक्ति सरगम है

एवी कृपा तमे करजो

शिष्य ने, याद रखो सदा,
शिष्य ने ना तमे भूलजो
कहो ने, हूँ सथेज़ छु,
अमने कदी ना भूलजो

जय जय वरो

जय जय वरो, जय जय वरो ...
संयमपंथे हवे, जय जय वरो ...
शुभमंगल घडीओ आवी तारे द्वारे,
दुनियाना बंधन तोडीने तुं चाल,

विरतीना राही वैरागीने वंदन

संसारी रागना तोडीने बंधन,
विरतीना राही वैरागीने वंदन,
वैरागी वैरागी वैरागीने वंदन,
वैरागी अहोभागी वैरागीने वंदन,