jain, jain lori, lori

रात है आई तारे मुस्काए
मां की गोदी में सपने आए
धर्म की लोरी कानों में बहे 
प्रभु की कहानी दिल में कहे 
मन शांत हो दिल नर्म हो जाए 
जैन प्रभु की मूरत आंखों में समाए 
तारों से पूछो प्रभु की बात 
जिनवरों ने सिखाया सच्चा साथ ||

धीरेधीरे झूले सपनों की डोरी
मां गाए प्रभु नामों की लोरी 
हर तीर्थंकर की प्यारी कथा
नींद में सपनों से गाएं ||

जहां ना हो रोना ना कोई डर 
बस हो प्रभु का मधुर असर 
चलो चले चले उस पावन पथ पर 
जहां ध्यान है जहां मोक्ष दर 
हर सांस में हो शांति का रंग 
24 तीर्थंकरों के संग
निर्मल मन से सुनते जाओ
हरती तीर्थंकर की गाथा गाओ
ऋषभदेव जी का बैल पे आए 
धर्म की राह दिखाए
अजितनाथ जी का 
हाथी सवारी सहनशीलता की फुलवारी ||

संभवनाथ जी का घोड़ा लाए 
करुणा की रीत सिखाए
अभिनंदन जी का बंदर प्यारे 
मस्ती में भी ज्ञान हमारे
सुमतिनाथ जी का
चकवा जैसे पावन भाव बहाए 
पद्मप्रभ जी का कमल सम 
कोमलता का करे  सम्मान 
सुपार्श्व जी का स्वस्तिक लाए 
मंगल मंत्र सजाए
चंद प्रभु जी का चांद समा शांत दिल को करे
अवरा पुष्पदंत जी का मगर वीर
साहसी बने हर पीर 

शीतलनाथ जी का कल्प वृक्ष करे मन
को शीतल निष्क श्रेयांश जी का
गंडा जैसा बल सहनशीलता में कमाल
वासुपूज्य जी काभ सा में
हो मगन अब सुनो अगले बारा रतन 
जिनकी महिमा रहे अमर रतन
विमलनाथ जी का शुक्र
प्यारे निर्मल मन के सितारे

अनंतनाथ जी का से ही जैसे
विपदा में भी हसे
धर्मनाथ जी का वज्र
समान नायका करे सम्मान
शांतनाथ जी का मृग
प्यारे शांति का दीप हमारे
कुंथनाथ जी का बकरा
प्यारा प्रेम का सच्चा
सहारा अरहनाथ जी का मछली 
जैसी ज्ञान की बहती
दरिया मलनाथ जी का कलश

समान संयम का दे
प्रमाण मुनि सुरनाथ जी का कछुआ
धर से जग को छो 
नमीनाथ जी का नील
कमल प्रेम से भर तेरे आंचल 
नेमिनाथ जी का शंख
बजाए विवेक की राह दिखाए ||

पार्श्वनाथ जी का सर्प
जैसे संकटों में रक्षक
जेसे महावीर जी का सिंह
समाए मोक्ष की ज्योत जलाए ||

अब आंचल में चांद
समेटे सारे मन की
थाली अरिहंतों की 
छाया में सो जाए दुनिया सारी  ||

नमोकार की माला
गुनगुनाओ सपनों में दर्शन ||

पाओ हर दिन जब सूरज निकले
नवजा संग नमो ||

नमो अरहताम नमौ
सिंम नमो
आयम नमो
वयाम नमो लोए ||

सबसा एसो पंच
नमोकारो सब पाव पणासनो
मंगल चव पम हवय मंगलम ||

 

Source - Jain Lori: 24 Tirthankar's with Symbols