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दोष थी हर्यो भर्यो

dosh thi, dosh, dosh thi haryo, dosh thi haryo bharyo

दोष थी हर्यो भर्यो छुं छतां,
दादा तुजने मळवानी घणी आश छे,
हुं तने नीरखी शकुं ना तने भले दादा,
तुं परंतु मारी आसपास छे
दोष थी हर्यो ...

भले तुं कोयलना गाने,
भले ग्रंथना पाने,
मने तुं आवी ने मळजे,
हो दादा कोई पण बहाने
(२)
जळ बधा में पी लीधा आ विश्वना, हो दादा,
तुजने पीवानी हजी प्यास छे
हुं भले ... दोष थी हर्यो ...

वस्यो तुं धरती गगनमां,
वस्यो तुं सुंदर मधुवनमां,
वस्यो तुं मां अने संतमां,
छतां शांति नथी मनमां
(२)
द्रष्टि गोचर था हवे आ विश्व मां, हो दादा,
तुज विना अही सहु निराश छे
हुं भले ... दोष थी हर्यो ...

हुं ने मारुं ने मारा मां,
ए ज वातो मने गमे,
बीजा ना गुण तणी सरगम,
हृदय मां खुब रे दमे
(२)
हुं तणा समुद्र मां डूबी गयो, हो दादा
तारी पासे आवी एक लाश छे
हुं भले ... दोष थी हर्यो ...

 

Source - Doshi Thi Haryo Bharyo

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