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जय वीयराय सूत्र

jai viyaray, jay viyaray, jai viyaray sutra

जय वीयराय! जग-गुरु!, 
होउ ममं तुह प्पभावओ भयवं!
भव-निव्वेओ मग्गाणुसारिआ इट्ठफल-सिद्धी  ....1

लोग-विरुद्ध-च्चाओ गुरु-जण-पूआ परत्थ-करणं च
सुह-गुरु-जोगो तव्वयण-सेवणा आ-भवमखंडा  ...2

वारिज्जइ जइ वि नियाण-बंधणं वीयराय! तुह समये
तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं ...3

दुक्ख-क्खओ कम्म-क्खओ, 
समाहि-मरणं च बोहि-लाभो अ
संपज्जउ मह एअं, तुह नाह! पणाम-करणेणं ...4

सर्व-मंगल-मांगल्यं , सर्व कल्याण कारणम् ।
प्रधानां सर्व धर्माणां, जैन जयतु शासनम् ...5

 

Source - Jay Viyaraay Sutra

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