Saturday, 28 June, 2025
jai viyaray, jay viyaray, jai viyaray sutra
जय वीयराय! जग-गुरु!,
होउ ममं तुह प्पभावओ भयवं!
भव-निव्वेओ मग्गाणुसारिआ इट्ठफल-सिद्धी ....1
लोग-विरुद्ध-च्चाओ गुरु-जण-पूआ परत्थ-करणं च
सुह-गुरु-जोगो तव्वयण-सेवणा आ-भवमखंडा ...2
वारिज्जइ जइ वि नियाण-बंधणं वीयराय! तुह समये
तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं ...3
दुक्ख-क्खओ कम्म-क्खओ,
समाहि-मरणं च बोहि-लाभो अ
संपज्जउ मह एअं, तुह नाह! पणाम-करणेणं ...4
सर्व-मंगल-मांगल्यं , सर्व कल्याण कारणम् ।
प्रधानां सर्व धर्माणां, जैन जयतु शासनम् ...5
Source - Jay Viyaraay Sutra