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जिन पार्श्वनाथ के सुमिरन से

Jin Parshvanath Ke Sumiran Se

(तर्ज-  जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया)

जिन पार्श्वनाथ के सुमिरन से मिटता भव भव फेरा  
है वंदन उनको मेरा 

जहां धर्म ध्यान और विश्व शांति का निश दिन रहता डेरा  
है वंदन उनको मेरा 

जिनके पद पंकज में झुकती है स्वर्ग लोक को बाला 
जिनकी वाणी से आत्म कमल को मिलती ज्ञान की माला 
जहां मुक्ति मार्ग और ज्ञान लक्ष्मी का निश दिन शाम सवेरा 
हैं वंदन उनको मेरा 

जिनकी महिमा को आसमान के तारे निशदिन गाते 
भाव भक्ति से देव इन्द्र नर नारी शरण आते 
जिनके द्वारे पर सूर्य किरण का लगता रहता फेरा 
हैं वंदन उनको मेरा

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Comments
Guest
30/08/2025 11:00 am

Jin Parshvanath Ke Sumiran Se | जिन पार्श्वनाथ के सुमिरन से | Jainkart
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