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जय पार्श्व  हरे

जय पार्श्व  हरे 
जय पार्श्व हरे, जय पार्श्व  हरे  दुखियों दुख के दूर करे 
जय जय जय पार्श्व हरे। 
जब चारों तरफ अंधियारा हो, आशा का दूर किनारा हो

सुन्दर मंदिर पार्श्वानों

सुन्दर मंदिर पार्श्वन म्हाने व्हालो लागे रे, 
व्हालो लागे,व्हालो लागे व्हालो लागेरे... 
मूल गंभारे पार्श्वनो रे, सुंदर मूरत श्याम 
ऊपर चोर्मुखजीविराजे, प्रति वर्ष को ठाठरे

जिन पार्श्वनाथ के सुमिरन से

जिन पार्श्वनाथ के सुमिरन से मिटता भव भव फेरा  
है वंदन उनको मेरा 
जहां धर्म ध्यान और विश्व शांति का निश दिन रहता डेरा  
है वंदन उनको मेरा 

मोरा पार्श्व प्रभु नल प्यार

मोरा पार्श्व प्रभु नल प्यार हो गया, 
भइयों सच्ची मुच्ची, हो भइयों सच्ची मुच्ची 
मोरा पार्श्व प्रभु 
अहो वामा देवी का प्यारा हो प्यारा 

पार्श्व प्रभू से अरज्

हे केशरिया पार्श्वप्रभु एक अरज सुनले ना  
मुझमें जितने अवगुण है 2 बल्दी दूर कर देना 
जगभग 2 ज्योति बरसे झलके अमीरस धारा है 
रुप अनोपम नीरखी बिक से अंतरभाव हमारा है 

है पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर एक दर्श भिकारी आया है

है पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर एक दर्श भिकारी आया है। 
प्रभु दरशन भिक्षा पाने को दो नयन कटोरे लाया है | 
नहीं दुनियाँ में कोई मेरा है आफत ने मुझको घेरा है। 
एक सहारा तेरा है, जग ने मुझ को ठुकराया | 

पार्श्व जिणंदा

पार्श्व जिणंदा वामाजी केनंदा, तुम पर वारी जाऊंबोल बोल रे, 
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे, पार्श्व जिणंदा...
दूर दूर देश से, लंबी सफर से
हम दर्शन आए तोल तोल रे

निहारूँगी  स्वामी पारसनाथ को
निहारूँगी स्वामी पारसनाथ को
निहारूँगी स्वामी पारसनाथ को
हे पतित पावन विश्व वात्सल पार्श्व शंखेश्वर प्रभु
हे पतित पावन विश्व वात्सल पार्श्व शंखेश्वर प्रभु

He Patit Pavan Vishv Vaatsalya Parshv Shankheshwar Prabhu

श्री पारसनाथ स्त्रोत्र

नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं,
शतेन्द्रं सु पूजैं भजै नाय शीशं ॥
मुनीन्द्रं गणेन्द्रं नमो जोडि हाथं,
नमो देव देवं सदापार्श्वनाथ। ॥1॥