Library > पार्श्व भक्ति
निहारूँगी  स्वामी पारसनाथ को
निहारूँगी स्वामी पारसनाथ को
निहारूँगी स्वामी पारसनाथ को
अंतरिक्ष के पास प्रभुजी अब दरवाज़े खोलो तूम
अंतरिक्ष के पास प्रभुजी अब दरवाज़े खोलो तूम
छोटा सा है एक झरोखा दर्शन उससे होते है
हे पतित पावन विश्व वात्सल पार्श्व शंखेश्वर प्रभु
हे पतित पावन विश्व वात्सल पार्श्व शंखेश्वर प्रभु

He Patit Pavan Vishv Vaatsalya Parshv Shankheshwar Prabhu

108 प्रभु पार्श्वजी
108 प्रभु पार्श्वजी

108 Prabhu Parshvaji

श्री पारसनाथ स्त्रोत्र

नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं,
शतेन्द्रं सु पूजैं भजै नाय शीशं ॥
मुनीन्द्रं गणेन्द्रं नमो जोडि हाथं,
नमो देव देवं सदापार्श्वनाथ। ॥1॥