तर्ज- नफरत की दुनिया छोड़ के (हाथी मेरे साथी) 

 

 

 

                        स्थाई 

मानुष तनपा करके कभी न मन करे अभिमान 

दिल में बसाले भगवान 

 

                       अन्तरा 

 

धन का भरोसा क्या, कब लूट जायेगा 

तन का भरोसा क्या कब छूट जायेगा 

पर आतम को पहचान, दीन दुखियों को कर तू दान  

इसी में तु पाले भगवान 

मानुष तन 

 

मिट्टी की है काया, पल भर को है माया 

जरा सोचले प्राणी, जग से तू क्या पाया 

धन यौवन को तू भूल जगत में सबसे रहे मिलजुल 

इसी में कहाय तू महान 

मानुष तन  

 

माँ बाप बहन भाई, कोई नही तेरे 

जीवन हैं अभी बाकी, कोई नहीं तेरे 

तू तीरथ करें महान इसी को सच्चा धन तू मान 

इसी में तू पाले भनवान 

मानुष तन

- Stavan Manjari