Tuesday, 24 June, 2025
mukti male ke na male, mukti male
मुक्ति मळे के ना मळे, मारे भक्ति तमारी करवी छे
मेवा मळे के ना मळे, मारे सेवा तमारी करवी छे,
मुक्ति मळे के ना मळे, मारे भक्ति तमारी करवी छे
मारो कंठ मधुरो ना होय भले, मारो सूर बेसूरो होय भले
शब्द मळे के ना मळे, मारे कविता तमारी करवी छे ...मुक्ति ...
आवे जीवनमां तडका ने छांया, सुख दुःखना पडे त्यां
पड्छाया, काया रहे के ना रहे, मारे माया तमारी करवी छे ... मुक्ति ...
हुं पंथ तमारो छोडुं नहीं, ने दूर दूर क्यांय दोडुं नहीं,
संसारने हुं छोडी शकुं, एवी युक्ति मारे करवी छे ...मुक्ति ...