Navkar Geet

(तर्ज- जिन्दगी एक सफर)

महामंत्र हैं कैसा सुहाना 
अब गीत इसी के गाना 
मंत्र महासुखकारी है 

शुद्ध मन से ध्यान लगाना 
चौदह पूर्व का सार हैं यह 
मन का बड़ा नवकार है यह 
अपने मन को समझाना 

जीवन का छोटा हैं सफर 
कर्मों से तु यूं ना डर 
नवकार को मन में बसाना 

परमेष्ठी संग प्रीत लगा 
जप तप का संगीत सजा 
तु स्नेह के दीप जलाना