(तर्ज- साजन मेरा)

पावन गुरु का दरबार है,
दादा बड़े ही दिलदार हैं 
हो... 

सच्चा गुरु से जिन्हें प्यार हैं, 
जीवन में खुशीयां अपार हैं 
मणिधारी कितना प्यारा नाम हैं, 

महरोली दादाबाड़ी धाम हैं 
देखो निराली कैसी शान हैं 
सबकी जुबां पे गुरु नाम है 
चरणों में कैसा चमस्कार 
चाहु और गुरु की जयजयकार है ||1||

गुरु भक्ति का लगा ठाठ हैं 
वोही अनोखी रात है 
दादा यहां पर साक्षात हैं 
सबके दिलों में वही बात है। 
महिमा गुरु की अपरम्पार हैं
भक्तो का होगा उद्धार हैं ||2||

भक्ति में गाओ सब झुमके 
मेला लगा है बड़ी धुमसे  
मौका न जाना कहीं चूक ये 
गुरु दिवानो तुम भूलके 
दर्शन से होगा बेड़ा पार हैं 
सुनते वे दिल की पुकार हैं ||3||