Panchhi Ud Jaayega

(तर्ज - एक दिन बीत जायेगा) 

पंछी उड जायेगा होते ही भोर 
पल में कट जायेंगी सांसों की ये डोर 
अवसर के रहते ही चाहे कुछ भी सीख 
तुझको जग जाना है निंदयों को झकझोर llअन्तरll
गा गा प्रभू गुण गा 

चाहे तु मन में कितनी आस लगाये 
जीने की खातीर हैं विश्वास जगाये 
पर प्यारे ये जीवन है, जग के दो ही क्षण 
क्या जाने काय ये तेरी धडकन रुक जाये 
तरम पम, तुझको ले जाने को आये यम के दूत 
सारी दुनिया भर में मच जायेगा शोर 
पंछी उड जायेंगा ll1ll

बचपन तो सारा, तुने खेल गवाया 
यौवन में माया से ही मेल बढ़ाया 
दो मौके खो डाले, अब मत खो मतवाले 
अंतिम मौके पर भी जो तु ना पछताना  
तरम पम फिर ना चल पायेगो कोई भी तरकीब 
नाही चल पायेगा तेरा कोई जोर 
पंछी उड़ जायेगा ll2ll