rushabhji, rushab, vrushabh, vrush, rushabhji bolave
ऋषभजी बोलावे छे, एना सपना आवे छे
जे एना थई जावे छे, एना ए थई जावे छे.
ऋषभजी बोलावे छे ...
सपनामां एनाथी वातो थाय; आंख खूले त्यां सौ पहेला देखाय,
होठ ने हैयुं एना गीतो गाय; एना नाम - स्मरणथी सघळुं थाय,
ए आवशे ... कोई पण रीते ...
एनी यादमां ... रातो वीते ...
अधराते हरखावे छे ने मधराते मलकावे छे ...
ऋषभजी बोलावे छे ...
एनो एक भरोसो साचो थाय : एनी पासे हैयु आ खोलाय.
आम जुओ तो दूर रहे छे कयांय ; आम तो जाणे साव समीप कहेवाय,
ए त्यां रहे ... हुं अहीं रहु,
तो पण सुणे ... हुं जे कहुं ...
पछी एक ईशारे आवे छे ने हळवेथी समजावे छे ...
ऋषभजी बोलावे छे ...
दादा एना आंगण बेसाडे ; सांज सवारे रात अने दाडे,
मुश्केलीमां मारग देखाडे, हाथ झालीने मंदिर पहोंचाडे,
पगलुं मूकुं ... रस्तो जडे ...
रस्ते चडुं ... मंझिल मळे ...
गिरिराजना दर्शन पावे छे ए पुण्य उदय प्रगटावे छे ...
ऋषभजी बोलावे छे ...