Sahsavan, sahsavan
राजुलनी राह ने छोड़ी
मुक्तिना मांडवे दोड़ी
राजुलनी राह ने छोड़ी,
मुक्तिना मांडवे दोड़ी
नव-भव तणी प्रीति त्यजी,
गिरनारे आया श्रीनेमि
उचरे सुव्रत संयमना,
विचरे ते विरती उपवनमा ...
करी साधना केवल वर्या जे भूमिमा
सहसावन ... नेम संयम उपवन
सहसावन ... नेम नुं जहां साधना जीवन
सहसावन ... नेम नुं समवसरण
सहसावन ...
आ भूमि पर नेमजी विचर्या,
संयमना महाव्रत जहां उच्चर्या
मन: पर्यव, केवलने वरिया
राजीमति रहनेमी जहां तरिया
पुकार सुनी पशुओंना,
संसार त्यजी क्षणभरमा
बनी केवलि दिये देशना जे भूमिमा
सहसावन ... नेम संयम उपवन
सहसावन ... नेम नुं जहां साधना जीवन
सहसावन ... नेम नुं समवसरण
सहसावन ...
सृष्टि तणुं सौंदर्यनुं दर्शन,
सत्व ने शौर्यनुं छे जहां सर्जन
व्रतने ज्ञाननुं छे जहां संगम,
नेमि नामनुं छे जहां गूंजन
पगला पड्या जहां नेमिना,
भाग्य खुल्या जे धरतीना
धबकी रह्या तुज स्पंदनो जे भूमिमा
राजुलनी राह ने छोड़ी,
मुक्तिना मांडवे दोड़ी
नव-भव तणी प्रीति त्यजी,
गिरनारे आया श्रीनेमि
उचरे सुव्रत संयमना,
विचरे ते विरती उपवनमा
करी साधना केवल वर्या जे भूमिमा
सहसावन ... नेम संयम उपवन
सहसावन ... नेम नुं जहां साधना जीवन
सहसावन ... नेम नुं समवसरण
सहसावन ...
Source - Sahsavan | Paras Gada