saiyami, saiy, saiyam baniye
संयमी बनकर सिद्धिपथ पर मुझको अब चलना है,
पावन पंछी बनकर प्रभु के हृदयाकाश में विहरना है।
संयमी बनकर सिद्धिपथ पर मुझको अब चलना है,
पावन पंछी बनकर प्रभु के हृदयाकाश में विहरना है।
वीरप्रभु के विरक्ति-वन में वीर बन विचरना है,
करे मिभंते मुझको उच्चरना है।
दौड़ते दौड़ते आऊं, दौड़ते आऊं,
जिनराज तुम्हारे संयम पंथ पर दौड़ते दौड़ते आऊं।
तोड़ते तोड़ते लाऊं, तोड़ते लाऊं,
मैं सिद्ध बनने सद्गुण-सितारे तोड़ के लाऊं।
हे ... ओघ लेकर मैं नाचूं - झूमूं आनंद में,
नाचते नाचते अंतर मेरा ओघ को वंदे।
हे पग मेरे भाव जैसे उछलें उमंग से,
रंग गया मेरा आत्मा विरक्ति के रंग से।
अब किसी राग से मैं कहीं नहीं रंगूं,
पल-पल प्यारे प्रभु के प्रेम से मैं बंधूं।
सद्गुरु संग मोक्ष को जाऊं।
जोड़ते जोड़ते लाऊं, जोड़ते लाऊं,
आत्मा के साथ द्रव्य-भाव की जोड़ी लाऊं।
जोड़ते जोड़ते आऊं, जोड़ते आऊं,
जिन-आज्ञा को मानने मैं हाथ जोड़कर आऊं।
दौड़ रे दौड़ रे आऊं, दौड़ते दौड़ते रे आऊं,
संयम पंथ पर दौड़ते आऊं।
तोड़ रे तोड़ रे लाऊं, तोड़ते तोड़ते रे लाऊं,
सद्गुण-सितारे तोड़ के लाऊं रे।
जोड़ते जोड़ते लाऊं ... जोड़ के लाऊं ...
आत्मा के साथ द्रव्य-भाव की जोड़ी लाऊं।
जोड़ते जोड़ते आऊं ... जोड़ते आऊं ...
जिन-आज्ञा को मानने मैं हाथ जोड़कर आऊं।
दौड़ते दौड़ते आऊं, दौड़ते आऊं,
जिनराज तुम्हारे संयम पंथ पर दौड़ते आऊं।
तोड़ते तोड़ते लाऊं, तोड़ते लाऊं,
मैं सिद्ध बनने सद्गुण-सितारे तोड़ के लाऊं।
Source - Saiyami Banine | Rajsundar Vijayji