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श्री पद्मावती माताजी की आरती

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देवी पद्मावती आरती तुमारी, मंगलकारी जय जय कारी… देवी…१

पार्श्व प्रभु छे शिरपर ताहरे, भक्ति करंतां तुं भक्तोने तारे… देवी..२

उज्जवल वर्णी मूत्ति शुं सोहे, नीरखी हरखी सहु जन मोहे… देवी..३

कुर्कुट सर्पना वाहने बेठी, भद्रासनथी तुं शोभे छे रुडी…… देवी..४

सप्तफणा शोभे मनोहारी, नयन मनोहर परिकरधारी… देवी…५

कमल पाशांकुश फळ रुडुं संगे, चार भुजामां कलामय अंगे.. देवी…६

विविध स्वरुपे भिन्न भिन्न नामे, जगपूजे सहु सिद्धि कामे… देवी…७

शीघ्रफळा तुं संकट टाळे, विघ्न विदारे वांछित आले… देवी…८

धरणेन्द्र देवनां देवी छो न्यारा, पार्श्वभक्तोना दुःख हरनारा… देवी…९

…… नगरे …… तीर्थे, दर्शन करतां दुःख सहु विसरे... देवी…१०

धर्म प्रतापे आशीष देजो, सुयश सिद्धिने मंगल करजो… देवी…११

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