चारो मंगळ चार, आज म्हारे चारो मंगळ चार,
देख्यो दरस सरस जिनजीको, शोभा सुंदर सार. आज०१
छिनुं छिनुं छिनुं मन मोहन चरचो, घसी केशर घनसार. आज०२
विविध जातिके पुष्प मंगावो, मोगर लाल गुलाब. आज०३
Library > आरती और मंगल दीपक
चारो मंगल चार, आज घेर प्रभुजी पधार्या,
पहेले मंगळ प्रभुजीने पूजुं, घसी केसर घनसार, आज०
बीजे मंगळ अगर उखेवुं, कंठ ठबुं फूलहार, आज०
त्रीजे मंगळ आरती उतारुं, घंट बजावुं रणकार, आज०
जयदेव जयदेव, जय जय जिनचंदा, प्रभु० (२)
परम महेश्वर देवा, (२) अमृत सुखकंदा. जयदेव०१
आदीश्वर जिनराज, सुनंदा स्वामी; प्रभु० (२)
अजित अचळपद पाम्या, (२) संभव गुणग्रामी. जयदेव०२
जय देव जय देव, जय सुखना स्वामी, प्रभु० (२)
तुजने वंदन करीअे, (२) भवभवना भामी. जय देव०१
सिद्धारथना सुत, त्रिशलाना जाया, प्रभु० (२)
जसोदाना छो कंथजी, (२) त्रिभुवन जगराया. जय देव०२
जय जय आरती शांति तुमारी,
तोरा चरणकमलकी में जाउं बलिहारी. जय०१
विश्वसेन अचिराजीके नंदा,
शांतिनाथ मुख पूनमचंदा. जय०२
जय जय गुरुदेवा, आरती मंगल मेवा,
आनंद सुख लेवा, जय जय गुरुदेवा ।
एक व्रत, दोय व्रत, तीन चार व्रत, पंचम व्रत सोहे,
भाविक जीव निस्तारण, सुरनर मन मोहे ।
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो |
कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानन्द विभो || .....||ऊँ जय महावीर प्रभो ||
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी |
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी |1| .....|| ऊँ जय महावीर प्रभो ||
हे शंखेश्वर स्वामी,
प्रभु जग अंतर्यामी (२)
तमने वंदन करीये (२),
शिवसुखना स्वामी
हे शंखेश्वर ... ।।
यह विधि मंगल आरती कीजै,
पंच परम पद भज सुख लीजै।
प्रथम आरती श्री जिनराजा,
भवदधि पार उतार जिहाजा ॥
शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे।
आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे
आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे शांतिाथ भगवान…
हस्तिनापुर में जनम लिये हे प्रभु देव करे जयकारा हो ।
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