मैं तो आरती ऊतारूँ रे, पारस प्रभुजी की,
जय-जय पारस प्रभु जय-जय नाथ॥
बड़ी ममता माया दुलार प्रभुजी चरणों में
बड़ी करुणा है, बड़ा प्यार प्रभुजी की आँखों में,
Library > आरती और मंगल दीपक
चंदा तू ला रे चंदनिया, सूरज तू ला रे किरणाँ … (२)
तारा सू जड़ी रे थारी आरती रे बाबा नैना सँवारूँ …(२)
थारी आरती … चंदा तू…॥
आदिनाथ का लाड़लाजी नंदा माँ का जाया …(२)
देवी पद्मावती आरती तुमारी, मंगलकारी जय जय कारी… देवी…१
पार्श्व प्रभु छे शिरपर ताहरे, भक्ति करंतां तुं भक्तोने तारे… देवी..२
उज्जवल वर्णी मूत्ति शुं सोहे, नीरखी हरखी सहु जन मोहे… देवी..३
कुर्कुट सर्पना वाहने बेठी, भद्रासनथी तुं शोभे छे रुडी…… देवी..४
ॐ जय जय जयकारा, वारी जय जय झंकारा,
आरति उतारो भविजन मिलकर, भैरव रखवाला,
वारी जीवन रखवाला ॐ जय जय जयकारा
तुं समकित सुरनर मन मोहक, मंगल नितकारा, वारी मं
दीवो रे दीवो प्रभु मंगलिक दीवो
आरति उतारण बहु चिरंजीवो .... दीवो १
सोहामने घेर पर्व दिवाळी
अंबर खेले अमरा बाळी .... दीवो २
जय जय आरति आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।1।।
पहेली आरति पूजा कीजे, नरभव पामीने लाहो लीजे
दुसरी आरति दीन दयाला, धुळेवा मंडपमां जग अजवाळा
तीसरी आरति त्रिभुवन देवा, सुरनर इन्द्र करे तोरी सेवा
करहूं आरती आज जिनेश्वर तुम्हरे द्वारे;
कर दो भव से पार लगा दो नैया किनारे,
ऋषभ अजित सम्भव जिन स्वामी;
अभिनन्दन भगवान लगा दो नैया किनारे,
इहविधि मंगल आरती कीजै, पंच परमपद भज सुख लीजै।। टेक।
पहली आरती श्री जिनराजा, भवदधि पार उतार जिहाजा।।
इहविधि मंगल आरती कीजै, पंच परमपद भज सुख लीजै।।
दूसरी आरती सिद्धन केरी, सुमरन करत मिटै भव फेरी।।