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वैरागी चाल्यो

vairagi chalyo, vairagi

अंतर उमंगे, सद्गुरु संगे,
रमवा निज स्वभावे
मोह हणाशे, मद तो जाशे,
वीर वचन प्रभावे
एकज लक्ष्य, संयमनो पक्ष,
सम्यक चारित्र आधार
पार उतारवा, संसार तरवा,
रत्नत्रयी बने प्राण
भाव विरागी बने, वेश सजे,
खीलववा गुणोनों बाग

वैरागी चाल्यो चाल्यो चाल्यो,
वैरागी चाल्यो
वैरागी चाल्यो चाल्यो चाल्यो,
वैरागी चाल्यो (2)

मारग नेमनो, पंथ सुरवीरनो
विचरे धीर धरी, करतों कर्मनो चूरो
वैरागी ने वंदन, खूब रे अभिनंदन
यशरत्नधनथी, पामे - आत्म स्पंदन
मम मुंडावेह, पव्वावेह, वेशं समप्पेह,
मने मारो मिटावोने तारो बनावजो
प्रभु प्रेम पाम्यो रे, धवल वेश मांग्यो,
गुणरत्न संगे, चालशे नेम पंथे

वैरागी चाल्यो चाल्यो चाल्यो,
वैरागी चाल्यो
वैरागी चाल्यो चाल्यो चाल्यो,
वैरागी चाल्यो (2)

 

Source - Vairagi Chalyo | Mumukshu Mishit Kumar | Manan Sanghvi

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