Monday, 27 November, 2023

Yaad Nathi Bhoolvi Saheli
(राग: आंधळी मानो कागळ)
शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा..
नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा..
तमे लीधी विदाय व्हेली
याद नथी भूलवी सहेली…
आंख्युमां अंधारु आंजी दीधुं तमे, केने करुं फरियाद?
सुखनी सोड्यना दाडा गीया हवे, केने रे पाडु साद?
भीना-भीना स्मरणो मेली
याद नथी भूलवी सहेली… (१)
बाळपणामां वंदन करतां खोळामां लीधां छे श्वास,
टपली मारी घणी छतां पण, राख्यो तमे ना पास,
दादा मारी वातो घेली
याद नथी भूलवी सहेली… (२)
वरसो थोडा स्मरणो झाझा, घडीक आप्यो संग
संयम साधना करी-करावी राख्यो जीवननो रंग
वरसावो दयानी हेली
याद नथी भूलवी सहेली… (३)
दुनिया आखी-मां जाणे रह्या हवे, हुं ने मारो पडछायो,
भरी-भरी आ भीडनी वच्चे “उदय” एकलवायो
करुं हवे विनति छेल्ली
याद नथी भूलवी सहेली… (४)