प्रस्तुत पुस्तिकामें जिन-दर्शन-पूजन विधि, जिनमंदिर
संबंधी सूचनाएँ, परमात्माकी पूजा करते समय कैसी भावना
भानी चाहिये-इत्यादि महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है। यह
विवरण पढ-विचारकर, समझकर क्रिया की जाय तो अविधि
और भूलोंसे बचा जा सकता है और परमात्माकी आज्ञा और
बहुमानपूर्वक की जानेवाली विधि हरेकके मनकी प्रसन्नता
और स्वस्थता प्राप्त करनेमें उपयोगी सिद्ध होगी ।
इस पुस्तिकामें चौबीस जिनेश्वर, तिथिपर्वके चैत्यवंदन,
स्तवन तथा थोय एक साथ दिये होनेसे चैत्यवंदन करनेवाले
भाविक आत्माको चैत्यवंदनकी विधि करनेमें बहुत सरलता
रहेगी ।
मोक्षमार्गकी आराधनाके अनेक मार्गों से चारित्रमार्ग
और भक्तिमार्ग मुख्य है । चारित्रमार्ग कठिन है, भक्तिमार्ग
सरल है। प्रस्तुत पुस्तिकामें प्रभुभक्तिके कई स्तवन दिये है।
इस पुस्तिकाके द्वारा वीतराग परमात्माकी भक्तिमें
भावविभोर होने के लिये हमने यह एक प्रयास किया है ।
इस पुस्तिकामें शुद्धिका पूर्ण प्रयास किया गया है
फिर भी कोई क्षति रह गई हो तो सुधार करनेके लिये हमें
सूचित करनेकी विनती है ।<\/p>\r\n
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