Personal menu
Search
You have no items in your shopping cart.

आगया शरण तुम्हारी

Aagaya, aagya sharan tumhari, agya sharan

(तर्ज : आयेगा, आयेगा, आयेगा- महल)

आगया, आगया, आगया,
आगया शरण तुम्हारी,
आगया आगया
सुनकर बिरद तुम्हारा तेरी शरण में आया,
तुमसा तो देव मैंने कोई कहीं न पाया,
सर्वज्ञ वीतरागी सच्चे हितोपदेशक,
दर्शन से नाथ तेरे कटते हैं पाप बेशक।
आगया, आगया, आगया,
आगया शरण तुम्हारी।

चारों गति के दुख जो मैंने भुगत लिये है,
तुमसे छुपे नही है जो जो करम किये है,
अब तो जनम मरण की काटो हमारी फाँसी,
वर्ना हँसेगी दुनिया बिगड़ेगी बात खासी।।
आगया, आगया, आगया,
आगया शरण तुम्हारी।

अंजन से चोर को भी तुमने किया निरंजन,
श्रीपाल कुष्टि की भी काया बनाई कंचन,
मेंढक सा जीव भी जब, तुम नाम से तिरा है,
"पंकज" यह सोच तेरे चरणों में आ गिरा है।।
आगया, आगया, आगया,
आगया शरण तुम्हारी।

 

Source - आगया शरण तुम्हारी

अपनी भावनाएं व्यक्त करें 🙏
*