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चिंतामणि मारी चिंता चूर

Chintamani mari chinta chur

आणि मन शुद्ध आस्था ,देव जुहारु शाश्वता(२)
पार्श्वनाथ मन वांचित पु चिंता मणि मारी चिंता चूर….
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर….

अणियाली थारी आँखड़ी
जाणे कामलतणी पांखडी
मुख दीठा दुःख जावे दूर
चिंतामणि मारी………
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर…(२)

को केहने को केहने नमे ,
मारा मन मा तुही गमे
सदा जुहरु उगते सुर ….
चिंतामणि मारी…….

बिछड़िया बालेसर बेल,
वैरी दुश्मन पाछा ठेल
तू छे मारा हाज़रा हुज़ूर
चिंतामणि मारी……

यह स्तोत्र जो मनमें धरे
तेहनो काज सदाई सरे
आधी व्याधि सब जावे दूर
चिंतामणि मारी…….

मुझ मन लागि तुमसु प्रीत
दुझो कोई न आवे चित्त
कर मुझ तेज प्रताप प्रचुर
चिन्तामणि मारी…….

भव भव देजो तुम पद सेव
श्री चिंतामणि अरिहंत देव
समय सुन्दर कहे गुण भरपूर
चिन्तामणि मारी….

- प्रकाशक- तेजकरण मरोठी, हिंगनघाट.

 

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