चरवला लकड़ी की डंडी पर ऊन लपेट कर बनाया जाता है। यह जैन धर्म की केंद्रीय अवधारणा "अहिंसा परमो धर्म" का प्रतीक है, जिसमें हर सूक्ष्म जीव की रक्षा को महत्व दिया जाता है। सामायिक में उठते समय, पूंजने में, या आसन बिछाने से पहले जगह को चरवले से पूंजकर यानी साफ करके बिछाना चाहिए। इससे सूक्ष्म जीवों की रक्षा होती है, क्योंकि उनकी जान भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारी। चरवला ऊन से बना होता है, जो बहुत नरम होता है ताकि किसी भी सूक्ष्म जीव को चोट न पहुंचे।
जैन परंपरा में सभी क्रियाओं (जैसे बैठना या सोना) के दौरान भूमि प्रमार्जन (सफाई) अत्यंत आवश्यक है, और चरवला इसी उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है। यह अहिंसा के पालन को सुनिश्चित करता है और पुण्य को बढ़ाता है। इस चरवले के साथ अहिंसा का पालन करें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और समृद्ध बनाएं!