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है पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर एक दर्श भिकारी आया है

Hai Parshv Tumhaare Dwaare Par Ek Darsh Bhikaari Aaya Hai

है पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर एक दर्श भिकारी आया है। 
प्रभु दरशन भिक्षा पाने को दो नयन कटोरे लाया है | 
नहीं दुनियाँ में कोई मेरा है आफत ने मुझको घेरा है। 
एक सहारा तेरा है, जग ने मुझ को ठुकराया | 

धन दौलत को कुछ चाह नहीं, घर बार छूटे परवाह नहीं 
मेरी इच्छा तेरे दर्शन की, दुनियाँ से चित घबराया है। 
मेरी बीच भवर में नैया है, बस तू ही एक खिवैया है।
लाखों को ज्ञान सिखा तुमने भव सिन्धु से पार उतारा है 

आपस में प्रेम वा प्रीत नहीं तुम बिन अब हमको चैन नहीं , 
अब तो आकर दर्शन दो गोठी अकुलाया है। 
जिन धर्म फैलाने को कर दिया तन मन धन अर्पण 
युवक मंडल को अपनाओ, सेवा का भार उठाया है ॥३॥

- Stavan Manjari

 

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