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रहेशे मारा श्वासे, आजीवन तारुं स्थान,
कारण के तारा शिखरे शोभे भगवान
रहेशे मारा श्वासे, आजीवन तारुं स्थान,
कारण के तारा शिखरे शोभे भगवान
गिरिराजनी गाथा छे, ए भाग्यविधाता छे,
ए मारो प्रियतम छे, तेथी सुखशाता छे
हैये पीपासा छे, आंखोमां आशा छे,
प्रियतमनी वातो माटे, प्रेमभीनी भाषा छे ...
रहेशे मारा श्वासे, आजीवन तारुं स्थान,
कारण के तारा शिखरे शोभे भगवान
वरसोथी रोज मळु छुं, तो य नवो लागे,
मळवा ना आवुं त्यारे सपनामां जागे
अधखुली पांपण पण कहेती हे चरण चालो,
डगलुं भरुं त्यां आखो रस्तो सूझाडे छे,
थाक ना लगाडे तेवो साथ ए बताडे छे
रहेशे मारा श्वासे, आजीवन तारुं स्थान,
कारण के तारा शिखरे शोभे भगवान
पेली रूपेरी आंगी जय तळेटी छे,
गिरिवरनां ए चरणोमां दुनिया लेटी छे,
उगमणी दिशामां जेवो सूर्य-उदय थातो
सरितानां पाणी एनां अंगने पखाळे छे,
सूरजने चंदा एनो चहेरो उजाळे छे
रहेशे मारा श्वासे, आजीवन तारुं स्थान,
कारण के तारा शिखरे शोभे भगवान
Source - Rahese mara swase | jaydeep swadiya