चन्दन के दो चौकिये, फूलन के दो हार 
केशार भारिया बाटको पुजों पारसनाथ।   रे मनवा। ......  

प्रभु दर्शन सुख सम्पदा, प्रभु दर्शन नवनीत 
दर्शन से पाशिए, सकल पदारथ सिद्ध।    रे मनवा ...... 

भावे भावना भाविऐ भावे दिजे दान 
भावे जिनवर पूजिऐं, भावे केवल ज्ञान।   रे मनवा  ...... 

आज देव अरिहंत नमू, समरू तारु नाम।  
ज्या ज्य प्रतिमा जीनजी, त्या त्या करा प्रणाम। रे मनवा  .......  

जिवडा जिनवर पूजिएं पूजा ना फल होय। 
राजा नमे प्रजा नमे आनंद लोपे कोय। रे  मनवा........ 

जग में तीरथ दो बडा, शंत्रूज्य गिरना। 
एक गढ ऋषभ समोसर्या, एक गढ़ गेम कुमार।  रे मनवा