Samayik Dosh
जिन दोषों से सामायिक दूषित/अशुद्ध हो जाती है, अर्थात् सामायिक में ये कार्य नहीं करने चाहिए। ये दोष कुल ३२ हैं। जिसमें १० मन के, १० वचन के और १२ काया के दोष है |
१० मन के दोष :-
१. अविवेक दोष : आत्म हित के अलावा दूसरे विचार करना।
२. यशोवांछा : लोग वाह वाह करे ऐसी इच्छा करना ।
३. लाभार्थ दोष : सामायिक से धन का लाभ हो ऐसी इच्छा करना।
४. गर्व दोष : दूसरों से अच्छी सामायिक करता हूँ, ऐसा गर्व करना।
५. भय दोष : भय लगाना यानि डरना ।
६. निदान दोष : सामायिक के फल का नियाणा/इच्छा करना।
७. संशय दोष : सामायिक के फल में संशय करना ।
८. रोष दोष : सामायिक में क्रोध करना।
९. अविनय दोष : अविनय से सामायिक करना ।
१०. अबहुमान दोष : अबहुमान से सामायिक करना ।
१० वचन के दोष :-
१. कुवचन दोष : अप्रिय या असत्य वचन बोलना ।
२. सहसाकार दोष : बिना विचारे बोलना ।
3. स्वच्छंद दोष : शास्त्र की दरकार रखे बिना बोलना ।
४. संक्षिप्त दोष : सूत्र-सिद्धान्त संक्षेप करके बोलना ।
५. कलह दोष : किसी के साथ कलहकारी वचन बोलना ।
६. विकथा दोष : विकथा करना। स्त्रीकथा, भक्त/भोजन कथा, देशकथा और राजकथा ये चार विकथा है।
७. हास्य दोष् : किसी की मजाक करना।
८. अशुद्ध दोष : सूत्र पाठ अशुद्ध बोलना ।
९. निरपेक्ष दोष : अपेक्षा रहित बोलना ।
१०. मन्मन दोष : मन ही मनमें गण गण करते बोलना।
१२ काया के दोष :-
१. कुआसन दोष : पैर पर पैर चढ़ाकर नहीं बैठना ।
२. चलासन दोष : डगमग करते आसन पर बैठना।
३. चलदृष्टि दोष : चारों तरफ नजर घुमाना ।
४. सावद्य क्रिया दोष : घर का काम या व्यापार संबंधी बात या ईशारा भी करना ।
५. आलम्बन दोष : दीवार या थम्भे का सहारा लेना।
६. आकुन्चन-प्रसारण दोष : हाथ पैर को फैलाना-सिकोड़ना।
७. आलस्य दोष : आलस मोड़ना ।
८. मोडन दोष : अंगुली के कड़ाके फोडना/चटकाना।
९. मल दोष : शरीर पर से मैल उतारना ।
१०. विभासना दोष : एदी की तरह बैठना।
११. निद्रा दोष : सोना ।
१२. वैयावच्च दोष : कपड़े को समेटना।
इन बत्तीस दोषों का सामायिक में सर्वथा त्याग करके शुभ-भावों में रहना चाहिए।
Source-
Book Name: कुशल-विचक्षण ज्ञानाञ्जली