सामायिक को दूषित करने वाले कुल 32 दोष हैं,
जिनमें 10 मन के, 10 वचन के, और 12 काया के दोष शामिल हैं।
इन कार्यों से बचकर ही सामायिक की शुद्धता बनी रहती है,
जिससे यह धार्मिक क्रिया प्रभावी और फलदायी हो सके।
Library > जैन धर्म दर्शन
सामायिक जैन धर्म की एक धार्मिक विधि है,
जिसमें सभी पाप कर्मों का त्याग किया जाता है।
जहाँ गुरु महाराज जीवन भर इसकी साधना करते हैं,
वहीं गृहस्थों के लिए यह ४८ मिनट का आत्म-शुद्धि का अभ्यास है।
स्वः श्रियम् श्रीमद्ऽर्हन्तः, सिद्धाः सिद्धि पुरीपदम् ।
आचार्या : पंचाचार, वाचकां वाचनां वराम् ।।1।।
साधवः सिद्धि साहाय्यं, वितन्वन्तु विवे किनाम् ।
मंगलानां च सर्वेषां, आद्यं भवति मंगलम् ||2||
जैन धर्म भारत में जन्मा एक प्राचीन धर्म है,
जो आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मज्ञान का मार्ग सिखाता है।
इसके मूल सिद्धांत सभी जीवित प्राणियों के प्रति,
सख्त अनुशासन और पूर्ण अहिंसा पर केंद्रित हैं।
यह कथा सिद्धचक्र के महत्व को दर्शाती है।
राजा श्रीपाल का कुष्ठ रोग सिद्धचक्र के आराधन से ठीक हो गया था,
और उन्हें आठ पत्नियाँ, नौ पुत्र, प्रचुर धन-संपत्ति
तथा नौ वर्षों तक निष्कंटक राज्य प्राप्त हुआ।