Personal menu
Search
You have no items in your shopping cart.

संतिकरं स्तोत्र

santikarm stotra, stotra, shantikarm stotra, santikaram stotra

संतिकरं संतिजिणं, जगसरणं जय-सिरीइ दायारं।
समरामि भत्तपालग-निव्वाणी-गरुड-कयसेवं.. ||

ॐ सनमो विप्पोसहि-पत्ताणं संति-सामि-पायाणं।
झ्रौ स्वाहा-मंतेणं, सव्वासिव-दुरिअ-हरणाणं.. ||

ॐ संति-नमुक्कारो, खेलोसहि-माइ-लद्धि-पत्ताणं।
सौँ ह्रीँ नमो सव्वो-सहि-पत्ताणं च देइ सिरिं.. ||

वाणी तिहुअण-सामिणी, सिरिदेवी जक्खराय गणिपिडगा।
गह-दिसिपाल-सुरिंदा, सया वि रक्खंतु जिण-भत्ते... ||

रक्खंतु मम रोहिणी, पन्नत्ती वज्ज-सिंखला य सया।
वज्जंकुसी चक्केसरी,नरदत्ता काली महाकाली ||

गोरी तह गंधारी, महजाला-माणवी अ वइरुट्टा।
अच्छुत्ता माणसिआ, महा-माणसिआ उ देवीओ ||

जक्खा गोमुह-महजक्ख, तिमुह-जक्खेस तुंबरू कुसुमो।
मायंग-विजय-अजिया, बंभो मणुओ सुरकुमारो ||

छम्मुह पयाल किन्नर, गरुलो गंधव्व तह य जक्खिंदो।
कूबर वरुणो भिउडी, गोमेहो पास-मायंगा ||

देवीओ चक्केसरी, अजिआ दुरिआरि काली महाकाली।
अच्चुअ संता जाला, सुतारया-सोअ सिरिवच्छा ||

चंडा विजयंकुसी पन्नइत्ति निव्वाणी अच्चुआ धरणी।
वइरुट्ट-च्छुत्त-गंधारी, अंब पउमावई सिद्धा ||

इअ तित्थ-रक्खण-रया, अन्नेवि सुरासुरी य चउहा वि।
वंतर-जोइणी-पमुहा, कुणंतु रक्खं सया अम्हं.. ||

एवं सुदिट्ठि-सुरगण-सहिओ संघस्स संति जिणचंदो।
मज्झ वि करेउ रक्खं, मुणिसुंदर-सूरि-थुअ-महिमा ||

इअ संतिनाह-सम्म-दिट्ठि-रक्खं सरइ तिकालं जो।
सव्वोवद्दव-रहिओ, स लहइ सुह संपयं परमं ||

तवगच्छ गयण-दिणयर-जुगवर-सिरि-सोमसुंदर-गुरूणं।
सुपसाय-लद्ध-गणहर-विज्जा-सिद्धी भणइ सीसो ||

 

Source - Santikaram Stotra with Raag | Vikas Kochar

अपनी भावनाएं व्यक्त करें 🙏
*