ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
        विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥


       यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
        रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥


       तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
       शाकिनी -भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥


       नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते।
       अग्नि चौर भयं नास्ति, नास्ति तस्य प्यरि-भयं
       ॐ ह्वीं श्रीं घंटाकर्ण ||४||



ऊपर वाला स्तोत्र पढ़ने के बाद नीचे लिखे मंत्र का 21 बार जप करें:
घंटाकर्ण महावीर का मंत्र :

ॐ घंटाकर्ण महावीर नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा। ★★★★★