Tuesday, 1 November, 2022
Shri Ghantakarna Mahavir Stotra
ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥
यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥
तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
शाकिनी -भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते।
अग्नि चौर भयं नास्ति, नास्ति तस्य प्यरि-भयं ||४||
ॐ ह्वीं महावीर नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा।
Source - श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र -21
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शब्दोंका मतलब क्या? जपात्क्षयम् ,
प्रणश्यत्नि। तिष्ठसे शान्ति कर्णे
ठ: स्वाहा
परम पूज्य श्री श्री श्री घंटा कर्ण महावीर :
आप सब नारी की रक्षा करें,करते रहे ।
सबको अपने कर्म अच्छे रखने / करने पर ध्यान रखना चाहिये । तब सब ठीक होगा ।
घंटा कर्ण महावीर के बहुत मंदिर होने चाहिये ।
Reduce pollution / corruption in india. Corruption can't be eliminated as it's in the most financial project which means it's too common in India.
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अगर आम आदमी अपने लिए कम व्यय करें तो प्रदूषण और दाम कम होगें । यही इच्छा /चाहते है ।
राजनेता, धनवान यह नहीं चाहते । वे लोग हार
जायेंगे ।