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उठ जा ओ सोये मानव

Uth Ja O Soye Maanav

(तर्ज- रुक जा को जाने वाली) 

उठा जा ओ सोये  मानव उठ जा 
कौन है ठिकाना जीवन का 
फल में यहां से चला जायेगा 
हवा में क्यों उड़ जाय तिनका...

बचपन तो खेल खोया, मद में ये जवानी है 
जब आया बुढ़ापा तो, बस खत्म कहानी है ll1ll
उठ जा सोये मानव 

दुख से घबराता क्यों, दुनिया में दिवानी है, 
मुश्किल हैं जो राहों में, आसान बनानी है ll2ll
उठ जा सोये मानव 

नश्वर तेरी काया, इक दिन मिट जानी है 
कहे युवक मण्डल, नहीं लौट के आनी है ll3ll
उठ जा सोये मानव

 

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