शनिवार, 7 अक्तूबर 2023
(तर्ज- रुक जा को जाने वाली)
उठा जा ओ सोये मानव उठ जा
कौन है ठिकाना जीवन का
फल में यहां से चला जायेगा
हवा में क्यों उड़ जाय तिनका...
बचपन तो खेल खोया, मद में ये जवानी है
जब आया बुढ़ापा तो, बस खत्म कहानी है ll1ll
उठ जा सोये मानव
दुख से घबराता क्यों, दुनिया में दिवानी है,
मुश्किल हैं जो राहों में, आसान बनानी है ll2ll
उठ जा सोये मानव
नश्वर तेरी काया, इक दिन मिट जानी है
कहे युवक मण्डल, नहीं लौट के आनी है ll3ll
उठ जा सोये मानव