उठ जा ओ सोये मानव  
           तर्ज- रुक जा को जाने टाली 

 

उठा जा ओ सोये  मानव उठ जा 

कौन है ठिकाना जीवन का 

फल में यहां से चला जायेगा 

हवा में क्यों उड़ जाय तिनका || टेर 

 

बचपन तो खेल खोया, मद में ये जवानी है 

जब आया बुढ़ापा तो, बस खत्म कहानी है ||१|| 

उठ जा सोये मानव 

 

दुख से घबराता क्यों, दुनिया में दिवानी है, 

मुश्किल हैं जो राहों में, आसान बनानी है ॥२॥ 

उठ जा सोये मानव 

नश्वर तेरी काया, इक दिन मिट जानी है 

कहे युवक मण्डल, नहीं लौट के आनी है 

उठ जा सोये मानव