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विरतीराग

Viratirag, virtirag, viratiraag

जे मार्गे अनंता तिर्थंकरो पण, चाल्या छे छोडी राजवाट ...
झंखे सदा ए देवोनी दुनीया,सजवा जे मुक्तिनो साज ...
ए ऋषभ नो छे मारग .... मारा नेम नो मारग ...
थावुं छे राजुल मारे आज ....

विरतीराग ... ए साचो राग ....
विरतीराग ... परम अभिलाष.
विरतीराग ... ए विरजी नो साद ....
विरतीराग ... ए श्रमणोनो ताज ....

जे भवथी तारनार छे, परमपद देनार छे,
आपो ए विरती साहिबा ....
ज्यां अनहद आहलाद छे,सर्व संग नो त्याग छे,
संयम नी साची साधना ....
मारा मन मांही समायो .... वेष तारणहारो ....
क्यारे बनु वीर अणगार ....
विरतीराग ... ए साचो राग ....
विरतीराग ... परम अभिलाष ....
विरतीराग ... ए विरजी नो साद ....
विरतीराग ... ए श्रमणोनो ताज ....

तारी आणा ए आत्मा रमे,अविरत तारा वचनो वहे,
शुद्धता ने समता लावजो ....
निर्ग्रंथता मुजमां वसे,बंधनो मोह ना तूटे,
एवु धन्य जीवन आपजो ....
छोडी वासना नो मेलो .... तारो ओघो मारे लेवो ...
अंतरनी छे एक ज जंखना ....

विरतीराग ... ए अंतरनाद ....
विरतीराग ... प्रभु संवाद ....
विरतीराग ... अभय नुं दान ....
विरतीराग ... सोम नुं ज्ञान ....

तुज पंथे डग मांडी, साचुं समकित प्रगटावुं ...
धन्नाजी सम उज्जवल, हुं संयम जीवन पालुं ...
गुरु गोयम जेवो विनयी, तारो अनुयायी बनीने ...
प्रभु तारा ए अनुरागे, मारे चंदनबाला थावुं ....
विरतीराग ... ए साचो राग ....
विरतीराग ... परम अभिलाष ....
विरतीराग ... ए विरजी नो साद ....
विरतीराग ... ए श्रमणोनो ताज ....

 

Source - VIRTIRAAG | MANAN SANGHVI | MANAN SHAH

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