Library > दीक्षा संयम स्तवन
वैरागी चाल्यो

अंतर उमंगे, सद्गुरु संगे,
रमवा निज स्वभावे
मोह हणाशे, मद तो जाशे,
वीर वचन प्रभावे

थावुं मारे रजोहरण रसिया रे

हे शणगारी संयमनी में साज सवारी रे
शणगारी संयमनी में साज सवारी रे,
अलगारी बनवानी में करी तैयारी रे,
मुक्तिना मारगने जोवा मनथी विचारी रे

मांगुं हुं गुरुवर संयम

जीवननी बदली दिशा,
बदली आतमनी दशा,
परम सुखमां रहेवानी,
अंतरनी मनोदशा

ओघो छे अणमूलो

ओघो छे अणमूलो एनुं खुब जतन करजो,
मोंघी छे मुहपत्ति एवुं रोज रटण करजो ||
ओघो छे अणमूलो…
आ वेश आप्यो तमने अमे एवी श्रध्धाथी,

राजुल ने नेम मली जाशे…
राजुल ने नेम मली जाशे…

के आज संयम नु पानेतर पेहरी ने जो 
राजुल ने नेम मली जाशे तू जो
राजुल ने नेम मली जाशे
प्रीत ने नवी रीत मली जाशे तू जो

क्यारे बनीश हुं साचो…

क्यारे बनीश हुं साचो रे संत,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत 
क्यारे बनीश हुं…
लाख चोराशी ना चोरे ने चोटे,

मुमुक्षु बनवुं मारे …

मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो जी रे.. मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो.. प्रभु पंथे चालवा, गुरु आणा माणवा
मुमुक्षु बनवुं…

हो जो जय जयकार

जिनशासनमां जन्म धरी,
सार्थक कीधो अवतार,
हो जो जय जयकार
दिव्यात्मा तव हो जो जय जयकार

वैरागी ने वंदन …

बनवा अणगार करवा भव पार
बनवा अणगार करवा भव पार
तोड्यो जेणे संसार नो बंधन
वैरागी ने वंदन

रागी मटी त्यागी पंथे जाय…

वंदन तारा चरणमां तुं,
रागी मटी त्यागी पंथे जाय..
श्रमण बनी… नवकार मंत्रमां समाय…
सघळा संसारने भीतरथी विसरी..