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नही सुमिरन करे, नही ध्यान लगाये

Nahi Sumiran Kare, Nahi Dhyaan Lagaaye

(तर्ज- मुझे नींद न आये मुझे चैन न आये)

नही सुमिरन करे, नही ध्यान लगायें 
प्रभू कैसे पार लगाये 
रे भज मन विर प्रभू के, सुमिरन विर प्रभू के 2 

शुद्ध मन से कभी न नीज को ध्यासा 
मतलब से धन पाने की थी आशा 
देखो देखो अब क्या हाल है। 
कंगाल है, बेहाल हैं। 
अब भटक रहा अंधियारे में 
आंसु नैनों से बहाएँ 
रे भजमन विर प्रभु के, सुमिरन घिर प्रभु के 
नहीं सुमिरन ll1ll

दान न किना, धर्म न किना 
कौड़ी कौड़ी जमाई 
मस्ती में जब भटक गया तो 
सब दौलत भी गमाई 
विषयों की भरमात थी 
अब अधोगती भी मार है 
सत्कर्म न जाने, सत्संग न जाने 
मोह माया में जकडन जाये 
नहीं सुमिरन ll2ll

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