Thursday, 6 May, 2021
Teri Mitti | Mere Guru
ओ मेरे गुरु अफ़सोस नहीं, जो तेरे लिए १०० दर्द सहे
मेह्फूस रहे तेरी जान सदा, चाहे जान मेरी यह रहे न रहे
ओ मेरे गुरु सबकुछ मेरे, मेरी नस नस में नवकार बहे
फीका न पड़े यह धर्म मेरा, जिस्मो से निकल के खून कहे

तेरे संग संग मैं चल जावा, गुल बनके मैं खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरज़ू, तेरे दर्दो को सेह जावा
मेह्फूस रहे तेरी जान सदा, चाहे जान मेरी यह रहे न रहे
ओ मेरे गुरु सबकुछ मेरे, मेरी नस नस में नवकार बहे
फीका न पड़े यह धर्म मेरा, जिस्मो से निकल के खून कहे
तेरे संग संग मैं चल जावा, गुल बनके मैं खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरज़ू, तेरे दर्दो को सेह जावा
तेरे पैरों में बिच जावा, इतनी सी है दिल की आरज़ू
ओ हो ओ ओ ओ हो ....(२)
पैरों से निकलते खून बहे, फिर भी न कोई एक शब्द कहे
आबाद रहे यह धर्म मेरा, जिनशासन की यह आन रहे
गुरुवार मेरे गुरुवार मेरे, मुझपे उपकार निराला था
कुरबान होगये बेवजा, वो जैन धर्म का सितारा था
तेरे संग संग मैं चल जावा, गुल बनके मैं खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरज़ू, तेरे दर्दो को सेह जावा
तेरे पैरों में बिच जावा, इतनी सी है दिल की आरज़ू
ओ हो ओ हो ओ हो ओ हो ...(२)
