लोक शिखर के वासी है प्रभु, तीर्थंकर सुपार्श्व जिनराज ।।
नयन द्वार को खोल खडे हैं, आओ विराजो हे जगनाथ ।।
सुन्दर नगर वारानसी स्थित, राज्य करे राजा सुप्रतिष्ठित ।।
पृथ्वीसेना उनकी रानी, देखे स्वप्न सोलह अभिरामी ।।
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27 June, 2025
27 June, 2025
ऋषभ – अजित – सम्भव अभिनन्दन, दया करे सब पर दुखभंजन
जनम – मरन के टुटे बन्धन, मन मन्दिर तिष्ठें अभिनन्दन ।।
अयोध्या नगरी अती सुंदर, करते राज्य भूपति संवर ।
सिद्धार्था उनकी महारानी, सूंदरता में थी लासानी ।।
27 June, 2025
श्री जिनदेव को करके वंदन, जिनवानी को मन में ध्याय ।
काम असम्भव कर दे सम्भव, समदर्शी सम्भव जिनराय ।।
जगतपूज्य श्री सम्भव स्वामी । तीसरे तीर्थकंर है नामी ।।
धर्म तीर्थ प्रगटाने वाले । भव दुख दुर भगाने वाले ।।
27 June, 2025
श्री सुमतिनाथ का करूणा निर्झर, भव्य जनो तक पहूँचे झर – झर ।।
नयनो में प्रभु की छवी भऱ कर, नित चालीसा पढे सब घर – घर ।।
जय श्री सुमतिनाथ भगवान, सब को दो सदबुद्धि – दान ।।
अयोध्या नगरी कल्याणी, मेघरथ राजा मंगला रानी ।।
27 June, 2025
श्री आदिनाथ को शिश नवा कर, माता सरस्वती को ध्याय ।
शुरू करूँ श्री अजितनाथ का, चालीसास्व – सुखदाय ।।
जय श्री अजितनाथ जिनराज । पावन चिह्न धरे गजराज ।।
नगर अयोध्या करते राज । जितराज नामक महाराज ।।
27 June, 2025
उत्तम क्षमा अदि दस धर्म,प्रगटे मूर्तिमान श्रीधर्म ।
जग से हरण करे सन अधर्म, शाश्वत सुख दे प्रभु धर्म ।।
नगर रतनपुर के शासक थे, भूपति भानु प्रजा पालक थे।
महादेवी सुव्रता अभिन्न, पुत्रा आभाव से रहती खिन्न ।।
26 June, 2025
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन को, करुं प्रणाम |
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ||
सर्व साधु और सरस्वती जिन मन्दिर सुखकार |
आदिनाथ भगवान को मन मन्दिर में धार ||
26 June, 2025
सब सिद्धों को नमन कर, सरस्वती को ध्याय।
चालीसा नवकार का ,लिखूं त्रियोग लगाय।
महामंत्र नवकार हमारा।
जन जन को प्राणों से प्यारा।
26 June, 2025
शान्तिनाथ भगवान का, चालीसा सुखकार ।।
मोक्ष प्राप्ति के लिय, कहूँ सुनो चितधार ।।
चालीसा चालीस दिन तक, कह चालीस बार ।।
बढ़े जगत सम्पन, सुमत अनुपम शुद्ध विचार ।।
21 March, 2025
श्री गुरुदेव दयाल को, मन में ध्यान लगाए,
अष्टसिद्धि नवनिधि मिले, मनवांछित फल पाए ||
श्री गुरु चरण शरण में आयो, देख दरश मन अति सुख पायो,
दत्त नाम दुःख भंजन हारा, बिजली पात्र तले धरनारा ||
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