जैन दुपट्टा जैन धर्म के पांच प्रमुख रंगों – लाल, पीला, सफेद, हरा और नीला – में उपलब्ध होता है, जो पंच-परमेष्ठी (पांच परम पूज्य विभूतियों) का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मसंयम और आध्यात्मिकता को भी दर्शाता है।
सफेद – अरिहंतों का प्रतीक, जो सभी विकारों (क्रोध, मोह, द्वेष) को जीतकर सर्वज्ञता और अनंत आनंद को प्राप्त कर चुके हैं।
लाल – सिद्धों का प्रतीक, जो मोक्ष को प्राप्त कर चुके हैं। यह सत्य (सत्यवादिता) का भी द्योतक है।
पीला – आचार्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जो जैन साधना और मार्गदर्शन में निपुण होते हैं।
हरा – उपाध्यायों का प्रतीक, जो जैन ग्रंथों का अध्ययन और शिक्षण करते हैं।
नीला – साधु-साध्वियों (जिन्होंने सांसारिक मोह त्याग कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया है) का प्रतिनिधित्व करता है।
इसके अतिरिक्त, दुपट्टे के एक ओर स्वस्तिक अंकित होता है, जो आत्मा के चार गतियों (मनुष्य, देव, तिर्यंच, और नारकी) को दर्शाता है। स्वस्तिक के ऊपर तीन बिंदु होते हैं, जो रत्नत्रय (सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र) का प्रतीक हैं।
यह जैन दुपट्टा धार्मिक आयोजनों, पूजा-पाठ, तपस्या, और प्रभावना (धार्मिक उपहार) के लिए एक आदर्श वस्त्र है। इसे धारण कर जैन धर्म की महान शिक्षाओं और सिद्धांतों को आत्मसात करें।
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