चारो तरफ बस दुख पीड़ा है, कोई हरे न पीर...(2)सिसक रहा कोई,तड़प रहा है,बहता जाए नीरआने वाले कल की देखके धुंधली ये तस्वीरवर्तमान ये पूछे तुमसे, हो कहा महावीरके फिर से जन्म लो ना, गले से लगा लो ना...(2)तेरस के चंदा तुमसे हम करते है विनती वीर प्रभु की झलक अगर तुम्हें वहाँ से जो दिखती ये संदेशा प्रभु को देना, जल रही है दुनियात्राहि त्राहि करे हर प्राणी, आ जाओना खेवैयाके फिर से जन्म लो ना, गले से लगा लो ना...(2)मिट्टी का मानव है भूखा, दौलत शोहरत का...(2)बारूदों के ढेर पे बैठा, शोला नफरत काहर आफत घायल कुदरत का है एक मौन इशारा,प्रदीप कहता महावीर तुम बिन, जग का कौन सहाराके फिर से जन्म लो ना, गले से लगा लो ना...(2)के फिर से जन्म लो ना, गले से लगा लो ना...(2)
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