Library > प्रभु भक्ति
तारी गमती वातो

हे जीरावला तुं, मनमां समातो, मने याद आवशे, तारी
गमती वातो (२)
तारी आंगी उतरे, तुं लागेमजानो, ने आंगी चडे त्यां,
तुं लागे अजाण्यो, पळ पळ रुप पलटे, हर क्षण तुं मलके

तारा शरणे आव्यो छु

तारा शरणे आव्यो छु स्वीकारी ले, मने लइ जा प्रभु तारा
धाममां तारुं शरणं प्रभु हुं स्वीकारुं छु,
मने लइ जा प्रभु तारा धाममां (२)
लावी द्यो नैया प्रभजी किनारे, फसायो छु हुं प्रभुजी आ

तमे मन मूकीने वरस्या

तमे मन मूकीने वरस्या, अमे जनम जनमनां तरस्या. तमे
मुशळधारे वरस्या, अमे जनम जनमनां तरस्या ... तमे ...
हजार हाथे तमे दीधुं पण, झोळी अमारी खाली,
ज्ञान खजानो तमे लूंटाव्यो, तोये अमे अज्ञानी....

प्रभु तूं सहारो

प्रभु तूं सहारो, प्रभु तूं किनारो,
तारा विणा कोण सथवार मारो.. 
प्रभु तुझ भक्ति, प्रभु तुझ शक्ति, 
प्रभु तूं स्वयं छे आ संसार मारो.. 

मने व्हालुं लागे

मने व्हालुं लागे, मने व्हालुं लागे
मने व्हालुं लागे दादा तारुं नाम
तन, मन, धन प्रभुना चरणोमां (२)
नाम तमारु लेता दादा भवसागर तरी

जिनवर तारु शासन

जिनवर तारु शासन आ जगमा छे महान,
ऐना आधार मारे तरवो संसार।
मने ऐ ज तारशे, भवपार उतारशे,
मझधारमा नैया, कांठे पहोचाडशे

चौक पुराओ

चौक पुराओ माटी रंगाओ,
आज मेरे पिया घर आये,
खबर सुनाऊ जो ख़ुशी रे बताऊ जो,
आज मेरे पिया घर आये,

ओ मारा रूपाला भगवान

ओ मारा रूपाला भगवान, तमारू रूप भुलावे भान,
तमारो उजलो-उजलो वान, तमारू रूप भुलावे भान.....
तारी अणीयारी पंपण मां मने मोरपीलू देखातु,
तारा भाल-तीलक मा जाणे के मेध-धनुष विकशातु

ऊंचा अंबर थी आवो

ऊंचा अंबर थी आवोने प्रभुजी (२ बार)
दर्शन करवाने तरसे आंखडी (२ बार)
रुमजुम-रुमजुम आवोने प्रभुजी (२ बार)
राह जोई ने तरसे आंखडी

आज वगडावो वगडावो

आज वगडावो वगडावो रूडां शरणायुं ने ढोल
हे ... शरणायुं ने ढोल नगारा शरणायुं ने ढोल
आज वगडावो ...
आज नाचे रे उमंग रंग अंगमां रे लोल, (२ बार)