मांगते ही रहते तुझसे, सांझ सवेरे,
हाथ ये फैले रहते, सामने तेरे,
तुने खुब दिया भगवान, तेरा बहोत बड़ा एहसान,
तेरा बहोत बड़ा एहसान, तुने खुब दिया भगवान.......
Library > प्रभु भक्ति
सोना रूपाना कलशे, प्रभु ने न्हवरावो हरशे
पावन नदियों ना पाणी, देवो लाव्या छे टाणी
आ धारा तो… पुण्य नी धारा छे…
प्रभुजी तो… म्हारा छे… ।। धृ.।।
थनगनता जनजनना हैय्ये आजे हरखनी हेली रे,
देवोनी दुनिया पण आजे थयी जुओने घेली रे;
भीतर तालावेली रे आवाना प्रभुवर बेली रे,
के भगवनना अंजननी वेला आवी रही अलबेली रे;
भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा-
मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम् ।
सम्यक्-प्रणम्य जिन प-पाद-युगं युगादा-
वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ॥1॥
करो ने पार भवसागर, तमारे द्वार आव्यो छु, (2)
तमारे द्वार आव्यो छु। (2)
करो स्वीकार महावीरा, भक्तिनुं फूल लाव्यो छु, (2)
तमारे द्वार आव्यो छु. (4)
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत
जो मंत्र नित्य हा गातो
तो आनंदातच न्हातो
ये प्रभु का ही वरदान है,
माँ पिता मेरे भगवान है,
सारा जीवन है अर्पण तुम्हे,
आप में ही मेरे प्राण है,
प्रभु तमारा पगले पगले पा पा पगली मांडी छे,
हवे तो अक्षर पाडो हरिवर, मारी कोरी पाटी छे, (2)
बाळक छुं हुं मने खबर क्यां...
शुं छे साचुं जीवन?
दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं,
यही सोचकर अपने दोनों नैन भीगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो भेरू दादा पिघलोगे....
आव्यो शरणे तमारा जिनवर करजो आश पूरी अमारी
नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी
गायो जिनराज आजे हरख अधिकथी परम आनंदकारी
पायो तुम दर्श नासे भव-भय-भ्रमणा नाथ सर्वे अमारी